Sandarbh - Issue 137 (Nov-Dec 2021)
आश्रमशाला के आदिवासी बच्चों के साथ हाइड्रोपोनिक खेती - प्रशान्त वाहुळे [Hindi,PDF]
हाइड्रोपोनिक खेती की तकनीक पौधे को बिना मिट्टी के उगने में मदद करती है। बच्चे अपनी असल दुनिया के अनुभवों के साथ-साथ कक्षा में साझा की गई अवधारणाओं और गतिविधियों से जोड़कर समझने पर ज़्यादा अच्छे से और जल्दी सीखते हैं। औरंगाबाद से 45 किलोमीटर दूर, तीसगाँव स्थित आश्रमशाला के मिडिल स्कूल के बच्चों के साथ ऐसे विषयों पर गतिविधियाँ तैयार कर पढ़ाने का प्रयास किया गया। इस लेख में पढ़ते हैं इस सफल प्रयास को और समझते हैं इस खेती के बारे में।
एक-सी और अलग-सी चीज़ें - कालू राम शर्मा [Hindi,PDF]
कालू राम शर्मा की किताब ‘खोजबीन का आनंद' होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं का लेखा-जोखा है जिसे कहानी या किस्सागोई शैली में लिखा गया है। आइए, पढ़ते हैं इस पुस्तक के तीसरे अंश को इस लेख के साथ।
कोण को मापे कौन? [Hindi,PDF]
यह आलेख कोण के मापन पर केन्द्रित है, यहाँ कोणों के दो पहलुओं की चर्चा की गई है। पहला, मापन की समस्याओं और दूसरा, कोणों को मापने के वैकल्पिक तरीकों की चर्चा और उन्हें कक्षा में कैसे लागू करें। इस आलेख में सीखने वाले छोटे बच्चों का कोणों से परिचय करवाने के लिए कड़ी-दर-कड़ी कुछ सुझाव दिए गए हैं जैसे कक्षा में छात्रों को समझाने के लिए गतिविधियों और खेलों का प्रयोग आदि। पढ़ते हैं इस महत्वपूर्ण लेख को।
सामाजिक बदलाव का माध्यम हैं कहानियाँ - महेश झरबड़े [Hindi,PDF]
मुस्कान संस्था द्वारा युवा केन्द्रित शिक्षण कार्य के दौरान ऐसे तरीकों पर ज़ोर दिया गया जिससे युवा अपनी बात खुलकर कह सकें। तो कहानी की किताबों के ज़रिए मुद्दे आधारित चर्चा करना ज़्यादा उपयुक्त पाया गया क्योंकि कहानी से जो माहौल बनता है, उससे बात करने के रास्ते बहुत आसान हो जाते हैं। कहानी से मुद्दा आधारित चर्चाओं में ऐसी कुछ चर्चाएँ निकलीं जिन्होंने बहुत-सी धारणाओं, सामाजिक मान्यताओं और रीति-रिवाज़ों पर चर्चा के अवसर खोले और कहीं-कहीं कुछ मान्यताओं को तोड़कर नवीन विचारों का सूत्रपात भी किया। तो आइए पढ़तें है इस लेख को।
कुछ पिटे हुए अनुभव - सुशील जोशी [Hindi,PDF]
स्कूलों में शारीरिक दण्ड और अपमान एक नियमित मामले की तरह सामने आता है। बच्चे न केवल अपनी कोमल पीठ पर पाठ्य पुस्तकों और नोटबुक्स का भार ढोते हैं, बल्कि मूर्खतापूर्ण कारणों के लिए बेंत का खामियाज़ा भी भुगतते हैं जैसे जूते का मेल नहीं खाना या फीता बँधा नहीं होना। बच्चा आसपास की घटनाओं को देखता है, सोचता है और उसकी नकल करता है या प्रतिक्रिया करता है। बच्चे यह मानने लग सकते हैं कि हिंसा करना अच्छा है। आज भी तमाम नियम-कानूनों के बावजूद भारत समेत कई देशों में अनुशासन के नाम पर पिटाई, स्कूली शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। प्रत्येक शिक्षक को लगता है कि उसे बच्चे को अनुशासित करने का पूरा अधिकार है। क्या इस हिंसा के पीछे सामाजिक या भावनात्मक कारण व ग्रन्थियाँ हैं? आइए, पढ़ते हैं इस महत्वपूर्ण लेख में लेखक के अपने और अपने दोस्तों के इन्हीं मुद्दों पर अनुभव जो आजीवन मस्तिष्क पर छाप छोड़े हुए हैं।
दुनिया से खत्म हो जाएँगी 2500 भाषाएँ - संध्या रायचौधरी [Hindi,PDF]
भाषा, देश-विशेष के लोगों की मौखिक और लिखित माध्यम की एक-मात्र सूत्र हैं। भाषा की मौत का अर्थ, इसके साथ उससे जुड़ी संस्कृति का भी अन्त है, मनुष्यों की विशिष्ट पहचान का अन्त है। उपरोक्त लेख के साथ पढ़ते हैं कि कैसे भाषाएँ विलुप्त हो रही हैं।
साये में बैंकिंग - पॉल क्रुगमैन [Hindi,PDF]
एक अच्छी तरह से काम करने वाली वित्तीय प्रणाली आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है, और इसी क्रम में बैंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आम समझ के अनुसार हम सभी जानते हैं कि अधिकांश बैंक जमा स्वीकार करने और उधार देने का काम करते हैं। वे बचतकर्ताओं के लिए धन के सुरक्षित भण्डार और उधारकर्ताओं के लिए उधार के अनुमानित स्रोतों के रूप में कार्य करते हैं। इस तरह बैंकों का प्रमुख व्यवसाय बचतकर्ताओं और उधारकर्ताओं के बीच एक तालमेल बिठाने का होता है। पर बैंक क्या है, उन्हें सुरक्षित क्यों रहना चाहिए -- यह सब समझने के लिए विस्तारपूर्वक पढ़ते हैं इस लेख को और इन सभी अहम मुद्दों पर अपनी समझ को और पुख्ता बनाते हैं।
लौट के बुद्धू घर को आए: भाग 1 - सतीश अग्निहोत्री [Hindi,PDF]
मासूम-सी मिन्नी का अपने भाई से छोटे होने का ख्वाब है। क्या वो इसमें सफल हो पाती है? आइए, पढ़ते हैं अत्यन्त रोचक और वैज्ञानिक कल्पनाओं से पूर्ण इस कहानी के प्रथम भाग को।
फिल्म में ऐसा क्या होता है जो सब चलते-फिरते दिखते हैं? - सवालीराम [Hindi,PDF]
इस बार के सवालीराम में एक बड़ा ही रोचक सवाल आया है कि फिल्म या चलचित्र में हमें सब स्थिर क्यों नहीं दिखते? इस सवाल को दो हिस्सों में बाँटा जा सकता है – पहला कि छवि निरन्तर क्यों दिखती है (यानी हमें एक-के-बाद-एक स्थिर चित्र क्यों नज़र नहीं आते), और दूसरा कि वह चलती-फिरती क्यों दिखती है? तो आइए समझते हैं इस पूरे मामले को इस लेख के साथ।
रंगीन द्रव पदार्थों की पहेली - मेघा चौगुले और अदिती मुरलीधर [Hindi,PDF]
आम तौर पर समुद्र तट पर या किसी गड्ढे में ही पानी पर तेल की परत साफ दिखाई देती है। आखिर दो अलग द्रव्य कैसे एक-दूसरे के ऊपर आते हैं? घनत्व की अवधारणा से परिचय करने के उद्देश्य से छात्रों को सरल गतिविधियाँ कराई जा सकती हैं, समान आयतन और समान द्रव्यमान वाली परीक्षण नलियों का अवलोकन करवाया जा सकता है। आइए पढ़ते-समझते हैं इन गतिविधियों को इस लेख के माध्यम से।