जमैका के धावक उसैन बोल्ट ने सन् 2009 में 100 मीटर का फासला 9.58 सेकण्ड में तय करके एक रिकॉर्ड बनाया था और वे सम्भवत: इससे बेहतर प्रदर्शन करेंगे। मगर सिनसिनाटी ज़ू और नेशनल जियोग्राफ्रिक मैगज़ीन के हवाले से बताया गया है कि इस साल जून महीने में उनके ग्यारह वर्षीय चीते ने यह फासला 5.95 सेकेण्ड में तय करते हुए बोल्ट को लगभग तीन सेकण्ड के अन्तर से पछाड़ दिया है।
दरअसल, चीता दुनिया का सबसे तेज़ धावक है। चीते के तेज़ दौड़ने का राज़ जानने के लिए जब हाई स्पीड कैमरे का उपयोग किया गया तो इस पर से कुछ हद तक तो पर्दा हट गया है।
‘द जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी’ में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि एक ओर तो चीते की छलांग की लम्बाई अधिक होती है, वहीं दूसरी ओर, वह प्रति सेकण्ड छलांगों की संख्या भी बढ़ा सकता है। जब चीता आराम से 9 मीटर प्रति सेकण्ड की रफ्तार से दौड़ता है तो वह प्रति सेकण्ड 2.4 कदम चलता है। मगर जब उसकी रफ्तार 17.8 मीटर प्रति सेकण्ड पर पहुँचती है तो वह प्रति सेकण्ड 3.2 कदम चलने लगता है। और वैज्ञानिकों का विचार है कि जँगली चीता 29 मीटर प्रति सेकण्ड की रफ्तार से भागते वक्त 4 कदम प्रति सेकण्ड चलता है।
जब चीते की तुलना तेज़ दौड़ने के लिए तैयार किए गए ग्रेहाउंड से की गई तो कई और अन्तर भी उभरकर सामने आए। तुलना के लिए बल मापने वाली प्लेट्स और हाई स्पीड वीडियो कैमरों का इस्तेमाल किया गया था।
देखा गया कि चीते की प्रत्येक छलांग की लम्बाई ज़्यादा होती है मगर वह प्रति सेकण्ड कम छलांगें लगाता है। इसका परिणाम यह होता है कि यदि चीता अपनी छलांगों की आवृत्ति बढ़ा दे तो उसकी रफ्तार खूब बढ़ जाएगी। एक अन्तर यह भी देखा गया कि भागते समय चीता अपना लगभग 70 प्रतिशत वज़न पिछली टाँगों पर डालता है जबकि ग्रेहाउंड का मात्र 62 प्रतिशत वज़न ही पिछली टाँगों पर होता है। वज़न किन टाँगों पर है, इसका असर छलांग की फुर्ती पर भी पड़ता है और इस बात पर भी कि छलाँग के वक्त फिसलने की सम्भावना कितनी है।
अध्ययन से चीते की रफ्तार का राज़ खुलने के अलावा चौपायों की अधिकतम रफ्तार कितनी हो सकती है, इसका अन्दाज़ भी लगा। अभी इस मामले में और खोजबीन जारी है।